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भगवद्गीता Bhagavad gita
श्रीमद्भगवद्गीता |
श्रीमद्भगवद्गीता |
प्रथमोऽध्यायः |
प्रथमः
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प्रथम पुं 1 एक
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SCL प्रथम पुं 1 एक | प्रथम{वर्गः पूरणम्} पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 प्रथम | SCL अध्याय पुं 1 एक{कृदन्त}(इ4 घञ्{धातुः इक्}{गणः अदादिः}) | ध्यै कर्तरि लङ् म एक परस्मैपदी{धातुः ध्यै}{गणः भ्वादिः} | INRIA पुं एक 1 अध्याय | |
धृतराष्ट्र उवाच |
धृतराष्ट्रः
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धृतराष्ट्र पुं 1 एक
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SCL धृतराष्ट्र पुं 1 एक | SCL वच् कर्तरि लिट् प्र एक परस्मैपदी{धातुः वचँ}{गणः अदादिः} | वच् कर्तरि लिट् उ एक परस्मैपदी{धातुः वचँ}{गणः अदादिः} | INRIA एक कर्तरि लिट् प्र वच् | एक कर्तरि लिट् उ वच् | |
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः |
धर्मक्षेत्रे
कुरुक्षेत्रे
समवेताः
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समवेत पुं 1 बहु | समवेता स्त्री 1 बहु | समवेता स्त्री 2 बहु
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SCL समवेत पुं 1 बहु | समवेत पुं 8 बहु | समवेता स्त्री 1 बहु | समवेता स्त्री 2 बहु | INRIA पुं बहु 1 समवेत | स्त्री बहु 2 समवेत | स्त्री बहु 1 समवेत | SCL युयुत्सु पुं 1 बहु | युयुत्सु पुं 8 बहु | INRIA पुं बहु 1 युयुत्सु | स्त्री बहु 1 युयुत्सु | |
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय |
मामकाः
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माम क पुं 1 बहु तद्धित | माम क स्त्री 1 बहु तद्धित | माम क स्त्री 2 बहु तद्धित
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SCL माम क पुं 1 बहु{तद्धित} | माम क पुं 8 बहु{तद्धित} | माम क स्त्री 1 बहु{तद्धित} | माम क स्त्री 2 बहु{तद्धित} | माम क स्त्री 8 बहु{तद्धित} | मामक पुं 8 बहु | INRIA पुं बहु 1 मामक | स्त्री बहु 2 मामक | स्त्री बहु 1 मामक | SCL पाण्डव पुं 1 बहु | पाण्डव पुं 8 बहु | INRIA पुं बहु 1 पाण्डव | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL एव अव्य | एव पुं 8 एक | एव नपुं 8 एक | INRIA unknown एव | SCL किम् अव्य | किम् सर्वनाम नपुं 1 एक | किम् सर्वनाम नपुं 2 एक | INRIA नपुं एक 2 किम् | नपुं एक 1 किम् | SCL कृ कर्तरि लङ् प्र बहु आत्मनेपदी{धातुः डुकृञ्}{गणः तनादिः} | INRIA बहु आत्मनेपदी लङ् प्र तनादिः कृ | SCL सञ्जय पुं 8 एक | सञ्जय नपुं 8 एक | सम्_जि कर्तरि लोट् म एक परस्मैपदी{धातुः जि}{गणः भ्वादिः} | सञ्जय पुं 8 एक{कृदन्त}(जि1 घञ्{धातुः जि}{गणः भ्वादिः}) | |
सञ्जय उवाच |
सञ्जयः
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सञ्जय पुं 1 एक कृदन्त जि1 घञ् धातुः जि गणः भ्वादिः
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SCL सञ्जय पुं 1 एक{कृदन्त}(जि1 घञ्{धातुः जि}{गणः भ्वादिः}) | INRIA पुं एक 1 सञ्जय | SCL वच् कर्तरि लिट् प्र एक परस्मैपदी{धातुः वचँ}{गणः अदादिः} | वच् कर्तरि लिट् उ एक परस्मैपदी{धातुः वचँ}{गणः अदादिः} | INRIA एक कर्तरि लिट् प्र वच् | एक कर्तरि लिट् उ वच् | |
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा |
दृष्ट्वा
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दृश् अव्य क्त्वा धातुः दृशिँर् गणः भ्वादिः कृदन्त
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SCL दृश् अव्य क्त्वा{धातुः दृशिँर्}{गणः भ्वादिः}{कृदन्त} | SCL तु अव्य | INRIA अव्य तु | SCL व्यूढ पुं 2 एक{कृदन्त}(ऊह्1 क्त{धातुः ऊहँ}{गणः भ्वादिः}) | व्यूढ नपुं 1 एक{कृदन्त}(ऊह्1 क्त{धातुः ऊहँ}{गणः भ्वादिः}) | व्यूढ नपुं 2 एक{कृदन्त}(ऊह्1 क्त{धातुः ऊहँ}{गणः भ्वादिः}) | व्यूढ पुं 2 एक{कृदन्त}(वह्1 क्त{धातुः वहँ}{गणः भ्वादिः}) | व्यूढ नपुं 1 एक{कृदन्त}(वह्1 क्त{धातुः वहँ}{गणः भ्वादिः}) | व्यूढ नपुं 2 एक{कृदन्त}(वह्1 क्त{धातुः वहँ}{गणः भ्वादिः}) | INRIA पुं एक 2 व्यूढ | नपुं एक 2 व्यूढ | नपुं एक 1 व्यूढ | SCL दुर्योधन पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 दुर्योधन | SCL तदा अव्य | INRIA अव्य तदा | |
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् |
आचार्यम्
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आचार्य पुं 2 एक | आचार्य नपुं 1 एक कृदन्त चर्1 ण्यत् धातुः चरँ गणः भ्वादिः | आचार्य नपुं 2 एक कृदन्त चर्1 ण्यत् धातुः चरँ गणः भ्वादिः
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SCL आचार्य पुं 2 एक | आचार्य पुं 2 एक{कृदन्त}(चर्1 ण्यत्{धातुः चरँ}{गणः भ्वादिः}) | आचार्य नपुं 1 एक{कृदन्त}(चर्1 ण्यत्{धातुः चरँ}{गणः भ्वादिः}) | आचार्य नपुं 2 एक{कृदन्त}(चर्1 ण्यत्{धातुः चरँ}{गणः भ्वादिः}) | INRIA पुं एक 2 आचार्य | नपुं एक 2 आचार्य | नपुं एक 1 आचार्य | SCL उप_सम्_गम् अव्य ल्यप्{धातुः गमॢँ}{गणः भ्वादिः}{कृदन्त} | SCL राज् पुं 3 एक | राज् नपुं 3 एक | राज् स्त्री 3 एक | राजन् पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 राजन् | SCL वचन नपुं 1 एक | वचन नपुं 2 एक | वचन नपुं 1 एक{कृदन्त}(वच्1 ल्युट्{धातुः वचँ}{गणः अदादिः}) | वचन नपुं 2 एक{कृदन्त}(वच्1 ल्युट्{धातुः वचँ}{गणः अदादिः}) | वचन नपुं 1 एक{कृदन्त}(ब्रू1 ल्युट्{धातुः ब्रूञ्}{गणः अदादिः}) | वचन नपुं 2 एक{कृदन्त}(ब्रू1 ल्युट्{धातुः ब्रूञ्}{गणः अदादिः}) | INRIA नपुं एक 2 वचन | नपुं एक 1 वचन | SCL ब्रू कर्तरि लङ् प्र एक परस्मैपदी{धातुः ब्रूञ्}{गणः अदादिः} | INRIA एक कर्तरि लङ् प्र अदादिः ब्रू | |
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् |
पश्य
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दृश् कर्तरि लोट् म एक परस्मैपदी धातुः दृशिँर् गणः भ्वादिः
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SCL दृश् कर्तरि लोट् म एक परस्मैपदी{धातुः दृशिँर्}{गणः भ्वादिः} | INRIA एक कर्तरि लोट् म दिवादिः पश् | SCL एतद् सर्वनाम स्त्री 2 एक | आङ्_इ कर्तरि लोट् प्र द्वि परस्मैपदी{धातुः इण्}{गणः अदादिः} | INRIA स्त्री एक 2 एत | SCL आचार्य पुं 8 एक | आचार्य पुं 8 एक{कृदन्त}(चर्1 ण्यत्{धातुः चरँ}{गणः भ्वादिः}) | आचार्य नपुं 8 एक{कृदन्त}(चर्1 ण्यत्{धातुः चरँ}{गणः भ्वादिः}) | SCL महती स्त्री 2 एक | INRIA स्त्री एक 2 महत् | SCL चमू स्त्री 2 एक | INRIA स्त्री एक 2 चमू | |
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता |
व्यूढां
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व्यूढा स्त्री 2 एक कृदन्त ऊह्1 क्त धातुः ऊहँ गणः भ्वादिः
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SCL व्यूढा स्त्री 2 एक{कृदन्त}(ऊह्1 क्त{धातुः ऊहँ}{गणः भ्वादिः}) | व्यूढा स्त्री 2 एक{कृदन्त}(वह्1 क्त{धातुः वहँ}{गणः भ्वादिः}) | INRIA स्त्री एक 2 व्यूढ | SCL युष्मद् सर्वनाम 6 एक | INRIA एक 6 युष्मद् | SCL शिष्य पुं 3 एक | शिष्य पुं 3 एक{कृदन्त}(शास्1 यत्{धातुः शासुँ}{गणः अदादिः}) | शिष्य नपुं 3 एक{कृदन्त}(शास्1 यत्{धातुः शासुँ}{गणः अदादिः}) | शिष्य पुं 3 एक{कृदन्त}(शास्1 ण्यत्{धातुः शासुँ}{गणः अदादिः}) | शिष्य नपुं 3 एक{कृदन्त}(शास्1 ण्यत्{धातुः शासुँ}{गणः अदादिः}) | INRIA पुं एक 3 शिष्य | नपुं एक 3 शिष्य | SCL धीमत् पुं 3 एक | INRIA पुं एक 3 धीमत् | नपुं एक 3 धीमत् | |
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि |
अत्र
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अत्र अव्य
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SCL अत्र अव्य | INRIA अव्य अत्र | SCL शूर पुं 1 बहु | शूर पुं 8 बहु | शूरा स्त्री 1 बहु | शूरा स्त्री 2 बहु | INRIA पुं बहु 1 शूर | स्त्री बहु 2 शूर | स्त्री बहु 1 शूर | SCL युध् स्त्री 7 एक | INRIA पुं एक 7 युध् | स्त्री एक 7 युध् | |
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः |
युयुधानः
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युयुधान पुं 1 एक
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SCL युयुधान पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 युयुधान | SCL विराट पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 विराट | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL द्रुपद पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 द्रुपद | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | |
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् |
धृष्टकेतुः
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धृष्टकेतु पुं 1 एक
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SCL धृष्टकेतु पुं 1 एक | SCL चेकितान पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 चेकितान | SCL काशिराज पुं 1 एक | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL वीर्यवत् पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 वीर्यवत् | |
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः |
पुरुजित्
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पुरुजित् पुं 1 एक
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SCL पुरुजित् पुं 1 एक | SCL कुन्तिभोज पुं 1 एक | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL शैब्य पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 शैब्य स्त्री बहु 1 शैब | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | |
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् |
युधामन्युः
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युधामन्यु पुं 1 एक
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SCL युधामन्यु पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 युधामन्यु | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL विक्रान्त पुं 1 एक | विक्रान्तृ पुं 8 एक | विक्रान्त पुं 1 एक{कृदन्त}(क्रम्1 क्त{धातुः क्रमुँ}{गणः भ्वादिः}) | INRIA पुं एक 1 विक्रान्त | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL वीर्यवत् पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 वीर्यवत् | |
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः |
सौभद्रः
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सौभद्र पुं 1 एक
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SCL सौभद्र पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 सौभद्र | SCL द्रौपदेय पुं 1 बहु | INRIA पुं बहु 1 द्रौपदेय | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL सर्व सर्वनाम पुं 1 बहु | सर्व सर्वनाम नपुं 1 द्वि | सर्व सर्वनाम नपुं 2 द्वि | सर्वा सर्वनाम स्त्री 1 द्वि | सर्वा सर्वनाम स्त्री 2 द्वि | INRIA पुं बहु 1 सर्व | पुं एक 7 सर्व | नपुं द्वि 2 सर्व | नपुं द्वि 1 सर्व | नपुं एक 7 सर्व | SCL एव अव्य | एव पुं 8 एक | एव नपुं 8 एक | INRIA unknown एव | |
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्वीजोत्तम |
अस्माकं
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अस्मद् सर्वनाम 6 बहु
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SCL अस्मद् सर्वनाम 6 बहु | INRIA बहु 6 अस्मद् | SCL तु अव्य | INRIA अव्य तु | SCL विशिष् तल् स्त्री 1 बहु{तद्धित} | विशिष् तल् स्त्री 2 बहु{तद्धित} | विशिष् तल् स्त्री 8 बहु{तद्धित} | विशिष्ट पुं 1 बहु{कृदन्त}(शिष्3 क्त{धातुः शिषँ}{गणः चुरादिः}) | विशिष्ट पुं 8 बहु{कृदन्त}(शिष्3 क्त{धातुः शिषँ}{गणः चुरादिः}) | विशिष्टा स्त्री 1 बहु{कृदन्त}(शिष्3 क्त{धातुः शिषँ}{गणः चुरादिः}) | विशिष्टा स्त्री 2 बहु{कृदन्त}(शिष्3 क्त{धातुः शिषँ}{गणः चुरादिः}) | विशिष्टा स्त्री 8 बहु{कृदन्त}(शिष्3 क्त{धातुः शिषँ}{गणः चुरादिः}) | INRIA पुं बहु 1 विशिष्ट | स्त्री बहु 2 विशिष्ट | स्त्री बहु 1 विशिष्ट | SCL या स्त्री 1 द्वि | या स्त्री 2 द्वि | या स्त्री 8 एक | या स्त्री 8 द्वि | यद् सर्वनाम पुं 1 बहु | यद् सर्वनाम नपुं 1 द्वि | यद् सर्वनाम नपुं 2 द्वि | यद् सर्वनाम स्त्री 1 द्वि | यद् सर्वनाम स्त्री 2 द्वि | INRIA नपुं द्वि 2 यद् | नपुं द्वि 1 यद् | पुं बहु 1 यद् | स्त्री द्वि 2 यद् | स्त्री द्वि 1 यद् | SCL तद् सर्वनाम पुं 2 बहु | INRIA पुं बहु 2 तद् | SCL निबोध पुं 8 एक{कृदन्त}(बुध्1 घञ्{धातुः बुधँ}{गणः भ्वादिः}) | निबोध पुं 8 एक{कृदन्त}(बुध्2 घञ्{धातुः बुधिँर्}{गणः भ्वादिः}) | निबोध पुं 8 एक{कृदन्त}(बुध्3 घञ्{धातुः बुधँ}{गणः दिवादिः}) | नि_बुध् कर्तरि लोट् म एक परस्मैपदी{धातुः बुधिँर्}{गणः भ्वादिः} | नि_बुध् कर्तरि लोट् म एक परस्मैपदी{धातुः बुधँ}{गणः भ्वादिः} | |
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते |
नायकाः
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नाय क पुं 1 बहु तद्धित
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SCL नाय क पुं 1 बहु{तद्धित} | नाय क पुं 8 बहु{तद्धित} | नाय क स्त्री 1 बहु{तद्धित} | नाय क स्त्री 2 बहु{तद्धित} | नाय क स्त्री 8 बहु{तद्धित} | नायक पुं 1 बहु | नायक पुं 8 बहु | नायक पुं 1 बहु{कृदन्त}(णी1 ण्वुल्{धातुः णीञ्}{गणः भ्वादिः}) | नायक पुं 8 बहु{कृदन्त}(णी1 ण्वुल्{धातुः णीञ्}{गणः भ्वादिः}) | नायक पुं 1 बहु{कृदन्त}(णय्1 ण्वुल्{धातुः णयँ}{गणः भ्वादिः}) | नायक पुं 8 बहु{कृदन्त}(णय्1 ण्वुल्{धातुः णयँ}{गणः भ्वादिः}) | INRIA पुं बहु 1 नायक | SCL अस्मद् सर्वनाम 6 एक | मा कर्तरि लिट् म बहु परस्मैपदी{धातुः मा}{गणः अदादिः} | INRIA बहु कर्तरि लिट् म मा बहु कर्तरि लिट् म मा | SCL सैन्य पुं 6 एक | सैन्य नपुं 6 एक | INRIA पुं एक 6 सैन्य | नपुं एक 6 सैन्य | SCL तद् सर्वनाम पुं 2 बहु | INRIA पुं बहु 2 तद् | SCL ब्रू कर्तरि लट् उ एक परस्मैपदी{धातुः ब्रूञ्}{गणः अदादिः} | INRIA एक कर्तरि लट् उ अदादिः ब्रू | SCL तद् सर्वनाम पुं 1 बहु | तद् सर्वनाम नपुं 1 द्वि | तद् सर्वनाम नपुं 2 द्वि | तद् सर्वनाम स्त्री 1 द्वि | तद् सर्वनाम स्त्री 2 द्वि | युष्मद् सर्वनाम 4 एक | युष्मद् सर्वनाम 6 एक | INRIA नपुं द्वि 2 तद् | नपुं द्वि 1 तद् | पुं बहु 1 तद् | स्त्री द्वि 2 तद् | स्त्री द्वि 1 तद् एक 6 युष्मद् | एक 4 युष्मद् | |
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः |
भवान्
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भव पुं 2 बहु | भवत् सर्वनाम पुं 1 एक
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SCL भव पुं 2 बहु | भवत् सर्वनाम पुं 1 एक | INRIA पुं बहु 2 भव पुं एक 1 भवत् | SCL भीष्म पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 भीष्म | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL कर्ण पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 कर्ण | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL कृप पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 कृप | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | |
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च |
अश्वत्थामा
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अश्वत्थामन् पुं 1 एक
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SCL अश्वत्थामन् पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 अश्वत्थामन् | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL सौमदत्ति पुं 1 एक | INRIA पुं एक 1 सौमदत्ति | SCL तथा अव्य | INRIA अव्य तथा | SCL एव अव्य | एव पुं 8 एक | एव नपुं 8 एक | INRIA unknown एव | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | |
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः |
अन्ये
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अन्या स्त्री 1 द्वि | अन्य नपुं 1 द्वि | अन्य सर्वनाम पुं 1 बहु | अन्या स्त्री 2 द्वि | अन्य नपुं 2 द्वि
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SCL अन्य नपुं 1 द्वि | अन्य नपुं 2 द्वि | अन्य नपुं 7 एक | अन्य नपुं 8 द्वि | अन्य सर्वनाम पुं 1 बहु | अन्य सर्वनाम नपुं 1 द्वि | अन्य सर्वनाम नपुं 2 द्वि | अन्या स्त्री 1 द्वि | अन्या स्त्री 2 द्वि | अन्या सर्वनाम स्त्री 1 द्वि | अन्या सर्वनाम स्त्री 2 द्वि | अन् भावे लट् उ एक आत्मनेपदी{धातुः अनँ}{गणः अदादिः} | INRIA पुं बहु 1 अन्य | स्त्री द्वि 2 अन्य | स्त्री द्वि 1 अन्य | नपुं द्वि 2 अन्य | नपुं द्वि 1 अन्य | SCL च अव्य | INRIA अव्य च | SCL बहु पुं 1 बहु | बहु पुं 8 बहु | बहु स्त्री 1 बहु | बहु स्त्री 8 बहु | बहु स्त्री 2 बहु | INRIA पुं बहु 1 | स्त्री बहु 1 | SCL शूर पुं 1 बहु | शूर पुं 8 बहु | शूरा स्त्री 1 बहु | शूरा स्त्री 2 बहु | INRIA पुं बहु 1 शूर | स्त्री बहु 2 शूर | स्त्री बहु 1 शूर | |
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः |
नानाशस्त्रप्रहरणाः
सर्वे
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सर्व सर्वनाम नपुं 1 द्वि | सर्व सर्वनाम नपुं 2 द्वि | सर्व सर्वनाम पुं 1 बहु
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SCL सर्व सर्वनाम पुं 1 बहु | सर्व सर्वनाम नपुं 1 द्वि | सर्व सर्वनाम नपुं 2 द्वि | सर्वा सर्वनाम स्त्री 1 द्वि | सर्वा सर्वनाम स्त्री 2 द्वि | INRIA पुं बहु 1 सर्व | पुं एक 7 सर्व | नपुं द्वि 2 सर्व | नपुं द्वि 1 सर्व | नपुं एक 7 सर्व | |
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् |
अपर्याप्तं
तत्
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तद् सर्वनाम नपुं 1 एक | तद् सर्वनाम नपुं 2 एक
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SCL तत् अव्य | तद् सर्वनाम नपुं 1 एक | तद् सर्वनाम नपुं 2 एक | INRIA नपुं एक 2 तद् | नपुं एक 1 तद् | SCL अस्मद् सर्वनाम 6 बहु | INRIA बहु 6 अस्मद् | SCL बल पुं 2 एक | बल नपुं 1 एक | बल नपुं 2 एक | INRIA नपुं एक 2 बल | नपुं एक 1 बल | पुं एक 2 बल | |
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् |
पर्याप्तं
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पर्याप्त नपुं 2 एक | पर्याप्त पुं 2 एक कृदन्त आप्1 क्त धातुः आपॢँ गणः स्वादिः | पर्याप्त नपुं 1 एक
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SCL पर्याप्त नपुं 1 एक | पर्याप्त नपुं 2 एक | पर्याप्त पुं 2 एक{कृदन्त}(आप्1 क्त{धातुः आपॢँ}{गणः स्वादिः}) | पर्याप्त नपुं 1 एक{कृदन्त}(आप्1 क्त{धातुः आपॢँ}{गणः स्वादिः}) | पर्याप्त नपुं 2 एक{कृदन्त}(आप्1 क्त{धातुः आपॢँ}{गणः स्वादिः}) | पर्याप्त पुं 2 एक{कृदन्त}(आप्1 क्त{धातुः आपॢँ}{गणः स्वादिः}) | पर्याप्त नपुं 1 एक{कृदन्त}(आप्1 क्त{धातुः आपॢँ}{गणः स्वादिः}) | पर्याप्त नपुं 2 एक{कृदन्त}(आप्1 क्त{धातुः आपॢँ}{गणः स्वादिः}) | INRIA पुं एक 2 पर्याप्त | नपुं एक 2 पर्याप्त | नपुं एक 1 पर्याप्त | SCL तु अव्य | INRIA अव्य तु | SCL इदम् सर्वनाम नपुं 1 एक | इदम् सर्वनाम नपुं 2 एक | INRIA नपुं एक 2 इदम् | नपुं एक 1 इदम् | SCL एतद् सर्वनाम पुं 6 बहु | एतद् सर्वनाम नपुं 6 बहु | INRIA नपुं बहु 6 एतद् | पुं बहु 6 एतद् | SCL बल पुं 2 एक | बल नपुं 1 एक | बल नपुं 2 एक | INRIA नपुं एक 2 बल | नपुं एक 1 बल | पुं एक 2 बल | |